Unreal Desire

A desire might be unreal
Still one dreams of it
Regret will never bring off solace
Don't fall short on ambition of it

Heart might be jittered
It wouldn't let one have cosiness
Let cognition be mature and felt
Otherwise life would be ruinous

Fulfillment is not the happiness
Even though it has been achieved
If struggle can't bring forth the victor
Never let joy be ever vanished

Neither let past obstruct today
Nor let passion die down hereafter
If time has virtue of healing
Life is a gem and so living is a treasure

उपेक्षित प्रकृति की वेदना


Though we keep on advancing our comfort each day by dazzling waves of technology, but we laid aside out planet and we are bringing perversion to nature. Sooner we realize it, better it would be!

Save our home, the 'Blue Planet'



मैं अविचल हूँ
हूँ सबसे शीतल
तुम जीव श्रेष्ठ
फिर भी हो चंचल

मैं विषम एक-रूप
सर्वत्र शांत-चित्त
तुम समान समगुण
फिर भी हो विभक्त

मैं प्राणदायिनी हूँ
लेकिन स्वाभिमानी
तुम निर्भर मुझ पर
किन्तु हो अभिमानी


मैं कर्तव्यपूर्ण दानी
अब हूँ रक्त रन्जित
तुम लोभी हत्यारे
अपराध से निश्चिन्त


मैं जीवन-चक्र से मुक्त
संकट में मेरा अस्तित्व
प्रगति के विस्मय में
तुम हो रहे पथ-भ्रमित

मैं कारक हूँ जीवन की
मुझ बिन अधूरे सब यत्न हैं
तुम हो सुरक्षित तभी तक
जब तक संतुलित प्रयत्न हैं

ए हिन्द तू अमर रहे

A tribute to lance naik Hemraj...

I do remember Kargil when Pak army so blatantly disown its regular soldiers and refuse to claim its dead and all of them were honoured with the Pakistan flag and given a military burial by Indian troops.

सर वो कटते नहीं तलवार से
जो उठे है मात्रभूमि के सत्कार में
वो शेर-ए-हिन्द क्या डरेगा
कुत्तो की ललकार से

जो शहीदों को उनका
कफ़न तक न दे पाये
शहादत का मोल क्या है
ये वो पाक क्या जाने

पाक ध्वज के साथ
उनको सैनिक सम्मान दिया था
हिन्द की पवित्र जमीं पे
दफ़न उनको किया गया था

ए हिन्द तू दीप्तिमान रहे
तेरा यश सदा बढता रहे
हम न भूलेंगे किसी शहीद को
सर कटे पर ए हिन्द तू अमर रहे

आँसू

आज फिर से छलके थे
आंखों में आँसू मेरे
मुश्किलों में मुस्कुरायाँ मैंने
क्यूँ रोक न पाया आज मैं आँसू मेरे

मन्जिले जब भी मिली हैं
जश्न मनाये हर बार मैंने
पर मैं न समझ पाया
क्यूँ खुशियों में शरीक आँसू मेरे

बहुत अजीब सी खुशियाँ हैं
इन खुशियों में कुछ कमी सी हैं
क्यूँ चलता रहा सारी उम्र मैं
जैसे रास्ते मुझे पता ही नहीं हैं

यूँ तो हैं अहसास दूरी का मुझे
पर हैं हर ख़ुशी अधूरी बिन तेरे
क्यूँ आते हो ऐसे करीब मेरे
बन के पलकों में आँसू मेरे

अलविदा

न कर पायें शिकायत
वो अलविदा जब कह गयें
रोक न पायें जब उनको
बस आँसू रोकते रह गयें

मैं पूँछ लूँ उस खुदाँ से
कही पे अगर मिल जायें
क्यूँ बनाते हो मोहरें
बस केवल मिटानें के लिये

अगर मिटाना हीं हैं
तो क्यूँ यादें मिटातें नहीं
मिलता नहीं हूँ गैरों से
क्यूँ अपनों से मिलातें नहीं

अगर नियम हैं ये प्रकृति का
तो हताश खुदाँ भीं होंगा
खामोश होकर भीं कहीं
वो खुद से खफा तो होंगा

बस कुछ यूँ ही

लोग कहते हैं
इश्क़ खुदाँ की इबादत हैं
बस कुछ यूँ ही
इश्क़ करने कि आदत हैं

कुछ भर जाते हैं
तो कुछ रह जाते हैं
बस कुछ यूँ ही
ज़ख्मों से खेल जाते हैं

शरीफों के शहर में
हमदर्द कई मिल जाते हैं
बस कुछ यूँ ही
धोखा खां जाते हैं

चेहरे वही रहे
पर ईमान बदल जाते हैं
बस कुछ यूँ ही
इंसान बदल जाते हैं

वादे किये थे
वक्त आने पे मुकर जाते हैं
बस कुछ यूँ ही
जीने के सहारे टूट जाते हैं

शिकवा क्यूँ करे
जब तकदीर रूठ जाती हैं
बस कुछ यूँ ही
थोड़ी ख़ुशी मिल जाती हैं

रुतबा कम न हो
अगर प्रहार कर जाते हैं
बस कुछ यूँ ही
दिल पत्थर बन जाते हैं

इबादत खुदा की
हर रोज किया करते हैं
बस कुछ यूँ ही
इश्क़ किया करते हैं

मालिक

राहें जितनी बना ले
मंजिल एक हैं
अंधेरे कितने ही आते रहे
रौशनी एक हैं

दीवारें जितनी बना ले
पर आसमाँ एक हैं
तस्वीरे कितनी ही बना ले
वो पीर एक हैं

खून जितना बहा ले
रंग लाल, एक हैं
दुश्मन कितने ही बना ले
पर फ़रिश्ता एक हैं

क़र्ज़ जितने चुका ले
वो रहनुमा एक हैं
नाम कितने ही पुकार ले
मालिक एक हैं