हर रात की सुबह हैं
हर शाम की रात हैं
हर बात की जुबाँ हैं
हर जुबाँ पर बात हैं
हर दिन यूँ बरबाद हैं
बिन मौसम यें बरसात हैं
दबे हुये कही जज्बात हैं
फिर कोई तो बात हैं
साँसों में कोई महक हैं
हर तरफ ये बहस हैं
पायलों की ये छनक हैं
दिल को ये भनक हैं
तारों की जो चमक हैं
चिड़ियों की जो चहक हैं
बात इतनी सहज हैं
फिर क्यूँ ये उठापटक हैं
आँखों में जो नमी हैं
कहीं कुछ तो कमी हैं
जाने क्यूँ यकीं हैं
सब कुछ यहीं हैं
राहों पर सजी हैं
ज़िन्दगी हर कही हैं
हर तरफ बसी हैं
रुक गयी तो यहीं हैं
बेवजह बदनाम हैं
कैसी ये मुस्कान हैं
बिताने को अब रात हैं
छोटी सी एक बात हैं
टिमटिम अब आकाश हैं
इतने में क्यूँ निराश हैं
कुछ देर का अवकाश हैं
आना फिर से प्रकाश हैं
चिराग जलता हैं
Posted by
V!P!N
on Sunday, August 9, 2009
/
Comments: (1)
घनघोर अँधेरे के बीच
कही एक चिराग जलता हैं
तूफानों से लड़ता हैं
पर वो चिराग जलता हैं
हैं कही कोई राहगीर
मंजिल के लिये निकलता हैं
राह में काँटे हैं मगर
उम्मीदों का चिराग जलता हैं
हैं वक़्त की साजिश कोई
मुसाफिर यूँ भटकता हैं
सन्नाटो में ही सही
उसके लिये चिराग जलता हैं
हैं किस्मत का कोई छलावा
राही राह यूँ बदलता हैं
रास्ते लम्बे हो जाते हैं मगर
उसके सपनों का चिराग जलता हैं
हैं रात काली अन्धियारी
मुसाफिर कहाँ डरता हैं
कदम कदम मंजिल की ओर
उन राहों पर चिराग जलता हैं
हैं हर कही कोई लूटेरा
पड़ाव दर पड़ाव जो पड़ता है
संभल संभल कर ही मगर
हर पड़ाव पर चिराग जलता हैं
हैं सफ़र को अभिशाप यें
ठोकर बिना कहाँ कोई संभलता हैं
अनन्त काल से अनवरत
हर सफ़र में चिराग जलता हैं
हैं फर्क इंसान और भगवान में
मुश्किलों के बीच इंसान चलता हैं
हर इंसान में भगवान हैं
घर घर में चिराग जलता हैं
कही एक चिराग जलता हैं
तूफानों से लड़ता हैं
पर वो चिराग जलता हैं
हैं कही कोई राहगीर
मंजिल के लिये निकलता हैं
राह में काँटे हैं मगर
उम्मीदों का चिराग जलता हैं
हैं वक़्त की साजिश कोई
मुसाफिर यूँ भटकता हैं
सन्नाटो में ही सही
उसके लिये चिराग जलता हैं
हैं किस्मत का कोई छलावा
राही राह यूँ बदलता हैं
रास्ते लम्बे हो जाते हैं मगर
उसके सपनों का चिराग जलता हैं
हैं रात काली अन्धियारी
मुसाफिर कहाँ डरता हैं
कदम कदम मंजिल की ओर
उन राहों पर चिराग जलता हैं
हैं हर कही कोई लूटेरा
पड़ाव दर पड़ाव जो पड़ता है
संभल संभल कर ही मगर
हर पड़ाव पर चिराग जलता हैं
हैं सफ़र को अभिशाप यें
ठोकर बिना कहाँ कोई संभलता हैं
अनन्त काल से अनवरत
हर सफ़र में चिराग जलता हैं
हैं फर्क इंसान और भगवान में
मुश्किलों के बीच इंसान चलता हैं
हर इंसान में भगवान हैं
घर घर में चिराग जलता हैं
!T's noT aBouT JusT Dream
Posted by
V!P!N
on Saturday, July 25, 2009
/
Comments: (2)
वो ख्याब मेरे
जो रह गए अधूरे
इजाजत खुदा की हो
तो होगे कभी वो पूरे
मुझे मिलते हैं
रात में अक्सर सारे
कुछ कहते हैं वो सब
दिल को लगते हैं प्यारे
दिन भर की उधेड़-बुन
पल भर में हो जाती दूर
नशा शराब का भी क्या
जो हो ख्याबों में चूर
नहीं होते हैं वो खफा
फिजूल की बातों से मेरे
होंगे कही भी नहीं
इतने आशिक मेरे
भोर पहर से पहले
फिर आने का वादा करके
विदाई वो लिया करते
मन में मेरे उमंग भर के
ख्याब तो बस ख्याब है
ज़िन्दगी के उतार-चढाव नहीं
दोस्त तक बदल जाते है
पर ख्याबों सा कोई दोस्त नहीं
ज़िन्दगी में अजीब हैं
रातों में ख्याबो से मिलना
मगर ख्याबो के बिना
संभव नहीं ज़िन्दगी से मिलना
ख्याबो की अहमियत है
सच से परे हो मगर
मंजिल पाने के लिये
ज़िन्दगी की सच्ची डगर
जो रह गए अधूरे
इजाजत खुदा की हो
तो होगे कभी वो पूरे
मुझे मिलते हैं
रात में अक्सर सारे
कुछ कहते हैं वो सब
दिल को लगते हैं प्यारे
दिन भर की उधेड़-बुन
पल भर में हो जाती दूर
नशा शराब का भी क्या
जो हो ख्याबों में चूर
नहीं होते हैं वो खफा
फिजूल की बातों से मेरे
होंगे कही भी नहीं
इतने आशिक मेरे
भोर पहर से पहले
फिर आने का वादा करके
विदाई वो लिया करते
मन में मेरे उमंग भर के
ख्याब तो बस ख्याब है
ज़िन्दगी के उतार-चढाव नहीं
दोस्त तक बदल जाते है
पर ख्याबों सा कोई दोस्त नहीं
ज़िन्दगी में अजीब हैं
रातों में ख्याबो से मिलना
मगर ख्याबो के बिना
संभव नहीं ज़िन्दगी से मिलना
ख्याबो की अहमियत है
सच से परे हो मगर
मंजिल पाने के लिये
ज़िन्दगी की सच्ची डगर
some acQua!nTance never D!es
Posted by
V!P!N
on Monday, June 22, 2009
/
Comments: (1)
TH!s !s DeD!caTeD To mY FaTHer wHom ! Love mosT !n TH!s worLD...
वो चले गये है वहां
जहाँ से वापस आते नहीं
मगर गम बस इतना है
कि हम भुला पाते नहीं
मुस्कराहट तो जान है अपनी
जानती सब है कहती कुछ नहीं
इन आँखों ने देखा है सब कुछ
मगर मोती ये छलकते नहीं
इन कदमों का लड़खडाना
वो सहारा गिरने देता था नहीं
आज कदम सही पड़ते है
मगर हम संभल पाते नहीं
बहुत गहरे है ये जख्म
जिनके काबिल हम नहीं
कहना बहुत कुछ है खुदा से
मगर हम कुछ कह पाते नहीं
वो दिन रात छाया में जिनकी
गम कि धूप कभी आयी नहीं
आज गम नहीं, गम कि धूप नहीं
मगर चैन की नींद आयी नहीं
वो है कही आस पास
देख जिन्हें मै पाता नहीं
याद हो, याद रहोगे हर पल
भूलना मुझको है आता नहीं
वो तो करते होंगे याद हमें
मुझे सब कहते है याद करना नहीं
शिकायत तो नहीं है कोई मुझे
मगर यूँ छोड़ कर जाते नहीं
खुदा को प्यार था बन्दे से
मगर इतनी जल्दी बुलाते नहीं
हमको नहीं थी इतनी समझ
वरना प्यार खुदा से कम हम करते नहीं
वो चले गये है वहां
जहाँ से वापस आते नहीं
मगर गम बस इतना है
कि हम भुला पाते नहीं
मुस्कराहट तो जान है अपनी
जानती सब है कहती कुछ नहीं
इन आँखों ने देखा है सब कुछ
मगर मोती ये छलकते नहीं
इन कदमों का लड़खडाना
वो सहारा गिरने देता था नहीं
आज कदम सही पड़ते है
मगर हम संभल पाते नहीं
बहुत गहरे है ये जख्म
जिनके काबिल हम नहीं
कहना बहुत कुछ है खुदा से
मगर हम कुछ कह पाते नहीं
वो दिन रात छाया में जिनकी
गम कि धूप कभी आयी नहीं
आज गम नहीं, गम कि धूप नहीं
मगर चैन की नींद आयी नहीं
वो है कही आस पास
देख जिन्हें मै पाता नहीं
याद हो, याद रहोगे हर पल
भूलना मुझको है आता नहीं
वो तो करते होंगे याद हमें
मुझे सब कहते है याद करना नहीं
शिकायत तो नहीं है कोई मुझे
मगर यूँ छोड़ कर जाते नहीं
खुदा को प्यार था बन्दे से
मगर इतनी जल्दी बुलाते नहीं
हमको नहीं थी इतनी समझ
वरना प्यार खुदा से कम हम करते नहीं
excLus!veLY From mY HearT
Posted by
V!P!N
on Sunday, June 14, 2009
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Comments: (4)
कभी होती थी शाम उनके साथ
वो आये जो मुक्कदर में मेरे
अनमोल वो पल थे सबसे अच्छे
वो रात दिन ख्वाबो में तेरे
न मुलाकाते है न दीदार है अब तो
बदले बदले से है खुदा वो मेरे
ना जाने किस की नजर लगी हमें
ना जाने क्या कमी थी मोहब्बत में मेरे
वो गए तो तूफ़ान से बच न पाये
रह गए वो ख्वाब अधूरे मेरे
मगर इलाही कयामत हम भी है
वो आएगी मोहब्बत ज़िन्दगी में मेरे
इश्क का दम इतना हम भी भरते है
रहेगा इन्तेजार उनका आखों में मेरे
फूल बरसे, जिन राहों से भी वो गुजरे
रात दिन यही दुआ है खुदा से मेरे
भूल न पायेंगे हम वो हँसी यादे
वो लौट के आयेगे यकीं है इस दिल को मेरे
होती है मोहब्बत में हार अक्सर
मगर यकीं नहीं तुम न थे किस्मत में मेरे
वो आये जो मुक्कदर में मेरे
अनमोल वो पल थे सबसे अच्छे
वो रात दिन ख्वाबो में तेरे
न मुलाकाते है न दीदार है अब तो
बदले बदले से है खुदा वो मेरे
ना जाने किस की नजर लगी हमें
ना जाने क्या कमी थी मोहब्बत में मेरे
वो गए तो तूफ़ान से बच न पाये
रह गए वो ख्वाब अधूरे मेरे
मगर इलाही कयामत हम भी है
वो आएगी मोहब्बत ज़िन्दगी में मेरे
इश्क का दम इतना हम भी भरते है
रहेगा इन्तेजार उनका आखों में मेरे
फूल बरसे, जिन राहों से भी वो गुजरे
रात दिन यही दुआ है खुदा से मेरे
भूल न पायेंगे हम वो हँसी यादे
वो लौट के आयेगे यकीं है इस दिल को मेरे
होती है मोहब्बत में हार अक्सर
मगर यकीं नहीं तुम न थे किस्मत में मेरे