कभी होती थी शाम उनके साथ
वो आये जो मुक्कदर में मेरे
अनमोल वो पल थे सबसे अच्छे
वो रात दिन ख्वाबो में तेरे
न मुलाकाते है न दीदार है अब तो
बदले बदले से है खुदा वो मेरे
ना जाने किस की नजर लगी हमें
ना जाने क्या कमी थी मोहब्बत में मेरे
वो गए तो तूफ़ान से बच न पाये
रह गए वो ख्वाब अधूरे मेरे
मगर इलाही कयामत हम भी है
वो आएगी मोहब्बत ज़िन्दगी में मेरे
इश्क का दम इतना हम भी भरते है
रहेगा इन्तेजार उनका आखों में मेरे
फूल बरसे, जिन राहों से भी वो गुजरे
रात दिन यही दुआ है खुदा से मेरे
भूल न पायेंगे हम वो हँसी यादे
वो लौट के आयेगे यकीं है इस दिल को मेरे
होती है मोहब्बत में हार अक्सर
मगर यकीं नहीं तुम न थे किस्मत में मेरे
4 comments:
very nice lines.........
ya bhai its really really great to see you on blog, "experience with a quite diffrence", a beutiful sentence, and this yours this poem is close to my heart tooo
great one boss...........
keep going ..
Very beautiful poems ! Especially loved the "experience of different kind" and last one ("Exclusively from my heart") ! _Bhupendra Sir
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