लोग कहते हैं
इश्क़ खुदाँ की इबादत हैं
बस कुछ यूँ ही
इश्क़ करने कि आदत हैं
कुछ भर जाते हैं
तो कुछ रह जाते हैं
बस कुछ यूँ ही
ज़ख्मों से खेल जाते हैं
शरीफों के शहर में
हमदर्द कई मिल जाते हैं
बस कुछ यूँ ही
धोखा खां जाते हैं
चेहरे वही रहे
पर ईमान बदल जाते हैं
बस कुछ यूँ ही
इंसान बदल जाते हैं
वादे किये थे
वक्त आने पे मुकर जाते हैं
बस कुछ यूँ ही
जीने के सहारे टूट जाते हैं
शिकवा क्यूँ करे
जब तकदीर रूठ जाती हैं
बस कुछ यूँ ही
थोड़ी ख़ुशी मिल जाती हैं
रुतबा कम न हो
अगर प्रहार कर जाते हैं
बस कुछ यूँ ही
दिल पत्थर बन जाते हैं
इबादत खुदा की
हर रोज किया करते हैं
बस कुछ यूँ ही
इश्क़ किया करते हैं
मालिक
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V!P!N
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राहें जितनी बना ले
मंजिल एक हैं
अंधेरे कितने ही आते रहे
रौशनी एक हैं
दीवारें जितनी बना ले
पर आसमाँ एक हैं
तस्वीरे कितनी ही बना ले
वो पीर एक हैं
खून जितना बहा ले
रंग लाल, एक हैं
दुश्मन कितने ही बना ले
पर फ़रिश्ता एक हैं
क़र्ज़ जितने चुका ले
वो रहनुमा एक हैं
नाम कितने ही पुकार ले
मालिक एक हैं
मंजिल एक हैं
अंधेरे कितने ही आते रहे
रौशनी एक हैं
दीवारें जितनी बना ले
पर आसमाँ एक हैं
तस्वीरे कितनी ही बना ले
वो पीर एक हैं
खून जितना बहा ले
रंग लाल, एक हैं
दुश्मन कितने ही बना ले
पर फ़रिश्ता एक हैं
क़र्ज़ जितने चुका ले
वो रहनुमा एक हैं
नाम कितने ही पुकार ले
मालिक एक हैं