राहें जितनी बना ले
मंजिल एक हैं
अंधेरे कितने ही आते रहे
रौशनी एक हैं
दीवारें जितनी बना ले
पर आसमाँ एक हैं
तस्वीरे कितनी ही बना ले
वो पीर एक हैं
खून जितना बहा ले
रंग लाल, एक हैं
दुश्मन कितने ही बना ले
पर फ़रिश्ता एक हैं
क़र्ज़ जितने चुका ले
वो रहनुमा एक हैं
नाम कितने ही पुकार ले
मालिक एक हैं
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