एक दिन समन्दर ने लहरों से पूछा:-
तू मुझमे हो के भी
इतनी बेचैन क्यूँ हो जाती हैं
इतने पास आ के भी
इतनी दूर क्यूँ हो जाती हैं
लहरों ने समन्दर से कहा:-
मेरे जीवन का
मकसद भी तू हैं
मेरी बेचैनी का
कारण भी तू हैं
कितनी ही मुश्किलों से
मैंने तुझको पाया हैं
थमना मेरी फितरत नहीं
थाम मुझको तू पाया हैं
बिन तेरे कैसे
रह सकती हूँ मैं
सिमटकर तुझमें
कैसे बिखर सकती हूँ मैं
होती रहें दूरी जितनी भी
मुझे तुझसे मिल जाना हैं
हर बार इस दूरी से
वो क्षण बार-बार आना हैं
एक डोर
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V!P!N
on Wednesday, December 1, 2010
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एक डोर और एक चुम्बक
और वों उसका मालिक
कुछ कचरा और कुछ कबाड़
और वों उसका साहिल
वों गलियाँ और वों रास्तें
और वों नन्हें कदम
वों धूल और वों मिट्टी
और वों खिलता कमल
कुछ फूल और कुछ मालायें
और वों टूटती फुलवारी
कुछ पतझड़ और कुछ बारिश
और वों सूखी डाली
न गिला और न शिकवा
और वों न करता किसी रोज
न उम्मीद और न फरियाद
और वों रहता बेखौफ
एक चाँद और एक सूरज
और उस पर वों कहर
न बचपन और न जिन्दगानी
और उस पर वों ग्रहण
कहीं पत्थर और कहीं भगवान
और वों एक बेजुबान
कहीं रंगमहल और कहीं शीशमहल
और वों सबसे अन्जान
ये दुनिया और ये ज़िन्दगी
और वों एक बेढंग
कहीं लोभ और कहीं भ्रष्टता
और वों एक व्यंग्य
एक इंसानियत और एक मजबूरी
और वों एक हकीक़त
एक सभ्यता और एक दायित्व
और वों एक दुखती रँग
और वों उसका मालिक
कुछ कचरा और कुछ कबाड़
और वों उसका साहिल
वों गलियाँ और वों रास्तें
और वों नन्हें कदम
वों धूल और वों मिट्टी
और वों खिलता कमल
कुछ फूल और कुछ मालायें
और वों टूटती फुलवारी
कुछ पतझड़ और कुछ बारिश
और वों सूखी डाली
न गिला और न शिकवा
और वों न करता किसी रोज
न उम्मीद और न फरियाद
और वों रहता बेखौफ
एक चाँद और एक सूरज
और उस पर वों कहर
न बचपन और न जिन्दगानी
और उस पर वों ग्रहण
कहीं पत्थर और कहीं भगवान
और वों एक बेजुबान
कहीं रंगमहल और कहीं शीशमहल
और वों सबसे अन्जान
ये दुनिया और ये ज़िन्दगी
और वों एक बेढंग
कहीं लोभ और कहीं भ्रष्टता
और वों एक व्यंग्य
एक इंसानियत और एक मजबूरी
और वों एक हकीक़त
एक सभ्यता और एक दायित्व
और वों एक दुखती रँग
TwIn eYes
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on Wednesday, August 11, 2010
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They never fail,
To give you sight.
This beautiful world,
You possess your delight.
They never miss,
To catch a smile.
You make friends
To get worth your while.
They never disregard,
Whenever you feel sleepy.
You close your eyelids,
You surf this dreamy.
They never reveal,
Whatever you hide.
Yet they always suffer,
Whatever heart keeps inside.
They never lie,
Your heart know as well.
But they always reflect,
Whatever lips don't tell.
They never mislead,
Even heart and mind discord.
Life is hard nut to crack,
They always remain in accord.
They never betray,
But they are there to follow.
They always ret themselves,
Whenever you feel sorrow.
They never see each-other ,
Yet they make life full of colors.
Twin eyes always feel the same,
Just like true lovers.
To give you sight.
This beautiful world,
You possess your delight.
They never miss,
To catch a smile.
You make friends
To get worth your while.
They never disregard,
Whenever you feel sleepy.
You close your eyelids,
You surf this dreamy.
They never reveal,
Whatever you hide.
Yet they always suffer,
Whatever heart keeps inside.
They never lie,
Your heart know as well.
But they always reflect,
Whatever lips don't tell.
They never mislead,
Even heart and mind discord.
Life is hard nut to crack,
They always remain in accord.
They never betray,
But they are there to follow.
They always ret themselves,
Whenever you feel sorrow.
They never see each-other ,
Yet they make life full of colors.
Twin eyes always feel the same,
Just like true lovers.
सरहदें
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on Wednesday, July 14, 2010
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था खून इधर भी बिखरा
था खून उधर भी बिखरा
उन पर था मौत का पहरा
वीरानें में कोई देखें कैसे
थे जख्म इधर भी
थे जख्म उधर भी
मरहम लगा लो कितना भी
जख्म दिलों के कोई देखें कैसे
थी कुर्बानियाँ इधर भी
थी कुर्बानियाँ उधर भी
हार गये थे इन्साँ सभी
ये भी कोई कबूलें कैसे
थी चीखें इधर भी
थी चीखें उधर भी
दीवारें थी इतनी ऊँचीं
सुने भी तो कोई सुने कैसे
थी लाशें इधर भी
थी लाशें उधर भी
जशन जीत का हो कही भी
सरहदों के पार कोई देखें कैसे
अमन रहें इस पार भी
अमन रहें उस पार भी
सरहदें चाहें जिधर रहें
दिल से दुआ यें निकलती रहें
इक दीवार गिरी थी कभी
इक दीवार गिरानी हैं अभी
खाई कितनी भी गहरी रहें
जतन यही हो कम से कम रहें
न गिरा पाना दीवारे कभी
तो दरवाजें खुलें रखना सभी
दिलों से दिल मिलते रहें
कही तो इंसानियत की जीत रहें
था खून उधर भी बिखरा
उन पर था मौत का पहरा
वीरानें में कोई देखें कैसे
थे जख्म इधर भी
थे जख्म उधर भी
मरहम लगा लो कितना भी
जख्म दिलों के कोई देखें कैसे
थी कुर्बानियाँ इधर भी
थी कुर्बानियाँ उधर भी
हार गये थे इन्साँ सभी
ये भी कोई कबूलें कैसे
थी चीखें इधर भी
थी चीखें उधर भी
दीवारें थी इतनी ऊँचीं
सुने भी तो कोई सुने कैसे
थी लाशें इधर भी
थी लाशें उधर भी
जशन जीत का हो कही भी
सरहदों के पार कोई देखें कैसे
अमन रहें इस पार भी
अमन रहें उस पार भी
सरहदें चाहें जिधर रहें
दिल से दुआ यें निकलती रहें
इक दीवार गिरी थी कभी
इक दीवार गिरानी हैं अभी
खाई कितनी भी गहरी रहें
जतन यही हो कम से कम रहें
न गिरा पाना दीवारे कभी
तो दरवाजें खुलें रखना सभी
दिलों से दिल मिलते रहें
कही तो इंसानियत की जीत रहें
पल
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V!P!N
on Friday, July 2, 2010
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आपके आने पर हमने
गम सारे भुला दिये
जो बुझ गए थे दीयें
वो सारे जला दिये
चाँद ने की थी शिकायत
शमाँ वो इतना रौशन था
मैंने भी की थी बगावत
मेरा चाँद उस से भी रौशन था
वो दूर से आयी थी
उसकी आहट में जादू था
क़रीब इतने वो आयी थी
मेरा भी दिल बेकाबू था
खामोश सी थी निगाहें
कुछ कह रही थी वो नजर
सब थम गया हो जैसे
इस दिल पे था वो असर
मेरे हाथों में था उसका हाथ
वो रात क़यामत थी
उसके होंठों पे थी मेरी बात
वो बात कयामत थी
थम जाना था साँसों को
बेचैनी उस पल में थी
मिल जाती मुझको जन्नत
आरजू उस पल ये थी
कहे भी तो कहे कैसे
बात जुबाँ तक आयी थी
रुके भी तो रुके कैसे
वो बस सुबह तक आयी थी
इक झटके में सब छूट गया
मेरी आँखों का सपना था
कुछ पल के लिए ही सही
पल वो मेरा अपना था
गम सारे भुला दिये
जो बुझ गए थे दीयें
वो सारे जला दिये
चाँद ने की थी शिकायत
शमाँ वो इतना रौशन था
मैंने भी की थी बगावत
मेरा चाँद उस से भी रौशन था
वो दूर से आयी थी
उसकी आहट में जादू था
क़रीब इतने वो आयी थी
मेरा भी दिल बेकाबू था
खामोश सी थी निगाहें
कुछ कह रही थी वो नजर
सब थम गया हो जैसे
इस दिल पे था वो असर
मेरे हाथों में था उसका हाथ
वो रात क़यामत थी
उसके होंठों पे थी मेरी बात
वो बात कयामत थी
थम जाना था साँसों को
बेचैनी उस पल में थी
मिल जाती मुझको जन्नत
आरजू उस पल ये थी
कहे भी तो कहे कैसे
बात जुबाँ तक आयी थी
रुके भी तो रुके कैसे
वो बस सुबह तक आयी थी
इक झटके में सब छूट गया
मेरी आँखों का सपना था
कुछ पल के लिए ही सही
पल वो मेरा अपना था
इक ख्वाहिश
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on Sunday, June 27, 2010
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हर ख्वाहिश पूरी हो
ऐसी ज़िन्दगी नहीं होती
हो अगर हर ख्वाहिश पूरी
ज़िन्दगी तब ज़िन्दगी नहीं होती
टूट कर रोई इक ख्वाहिश
तो आवाज नहीं होती
आँखें जिनमे मोती न हो
तो वो चाहत नहीं होती
जब रोती हैं घटायें
तो वो बारिश नहीं होती
बहारें झूम के आती हैं
तड़प धरती की कम नहीं होती
जिसमे दर्द न हो
वो मोहब्बत नहीं होती
जो दिल को छू गया हो
वो गहराई समंदर में नहीं होती
किनारे सामने रहते हैं
चाहत कभी कम नहीं होती
दूर तक साथ चलते हैं
पर मुलाकात नहीं होती
जो नजरों से बयाँ हो
वो बात जुबाँ पे नहीं होती
जो दिल में बसा करते हो
उनसे कभी दूरियां नहीं होती
रुख हवाओं का जिधर हो
उधर मंजिलें नहीं होती
सामना तूफानों से न हो
वो डगर कभी पूरी नहीं होती
ये कुदरत का करिश्मा हैं
जीत ये तुम्हारी नहीं होती
मिल जाये जो आसानी से
वो कभी तुम्हारी नहीं होती
ऐसी ज़िन्दगी नहीं होती
हो अगर हर ख्वाहिश पूरी
ज़िन्दगी तब ज़िन्दगी नहीं होती
टूट कर रोई इक ख्वाहिश
तो आवाज नहीं होती
आँखें जिनमे मोती न हो
तो वो चाहत नहीं होती
जब रोती हैं घटायें
तो वो बारिश नहीं होती
बहारें झूम के आती हैं
तड़प धरती की कम नहीं होती
जिसमे दर्द न हो
वो मोहब्बत नहीं होती
जो दिल को छू गया हो
वो गहराई समंदर में नहीं होती
किनारे सामने रहते हैं
चाहत कभी कम नहीं होती
दूर तक साथ चलते हैं
पर मुलाकात नहीं होती
जो नजरों से बयाँ हो
वो बात जुबाँ पे नहीं होती
जो दिल में बसा करते हो
उनसे कभी दूरियां नहीं होती
रुख हवाओं का जिधर हो
उधर मंजिलें नहीं होती
सामना तूफानों से न हो
वो डगर कभी पूरी नहीं होती
ये कुदरत का करिश्मा हैं
जीत ये तुम्हारी नहीं होती
मिल जाये जो आसानी से
वो कभी तुम्हारी नहीं होती
दिलवाले
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V!P!N
on Thursday, May 13, 2010
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आज एक सपना टूटा
मैं एक और देखूगां
हर बार हैं ये टूटा
मैं बार-बार देखूगां
वो हो रही मुझसे जुदा
मैं कैसे दिल को समझाऊ
हैं खुदा मुझसे रूठा
मैं कैसे उसको मनाऊ
दिन में सहमा रहता हूँ
रात को चाँद होता हैं
सपनो में खोया रहता हूँ
तेरा ही दीदार होता हैं
मैं जाम पीता नहीं हूँ
वों नजरे पिला जाती हैं
वों मुझसे दूर नहीं हैं
ये अहसास दिला जाती हैं
मैं करता रहूँगा इकरार
वों तो करेंगे इन्कार
यूँ ही बढता हैं प्यार
दिल को मेरे हैं ऐतबार
रस्ते अलग हो जायेंगे
ऐसा होना तो नहीं था
वों मुझसे दूर हो जायेंगे
ऐसा कभी सोचा नहीं था
एक आस पूरी हो जाये
और ये वक्त बदल जाये
फिर एक करिश्मा हो जाये
मेरा उसका मिलन हो जाये
बिछुड़ कर जो हैं मिले
वों किस्मत वाले हैं
जरुरी नहीं किं हम मिले
हम तो दिलवाले हैं
मैं एक और देखूगां
हर बार हैं ये टूटा
मैं बार-बार देखूगां
वो हो रही मुझसे जुदा
मैं कैसे दिल को समझाऊ
हैं खुदा मुझसे रूठा
मैं कैसे उसको मनाऊ
दिन में सहमा रहता हूँ
रात को चाँद होता हैं
सपनो में खोया रहता हूँ
तेरा ही दीदार होता हैं
मैं जाम पीता नहीं हूँ
वों नजरे पिला जाती हैं
वों मुझसे दूर नहीं हैं
ये अहसास दिला जाती हैं
मैं करता रहूँगा इकरार
वों तो करेंगे इन्कार
यूँ ही बढता हैं प्यार
दिल को मेरे हैं ऐतबार
रस्ते अलग हो जायेंगे
ऐसा होना तो नहीं था
वों मुझसे दूर हो जायेंगे
ऐसा कभी सोचा नहीं था
एक आस पूरी हो जाये
और ये वक्त बदल जाये
फिर एक करिश्मा हो जाये
मेरा उसका मिलन हो जाये
बिछुड़ कर जो हैं मिले
वों किस्मत वाले हैं
जरुरी नहीं किं हम मिले
हम तो दिलवाले हैं
जीना सीख ले
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on Wednesday, May 12, 2010
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तू रोना नहीं
हँसना सीख ले
ज़िन्दगी आसान तो नहीं
तू जीना सीख ले
हारा नहीं इन्सां अब तक
तू सहना सीख ले
मुश्किलें तो आयेंगी
तू लड़ना सीख ले
तुम अकेले तो नहीं
नजर उठा के देख ले
हर शख्स यहाँ घायल हैं
तू करीब जा के देख ले
मुश्किलों को पसीने आयेंगे
अगर तू मुस्कुराना सीख ले
और आँसुओ को कफन कर
आँखों में दफन करना सीख ले
हँसना सीख ले
ज़िन्दगी आसान तो नहीं
तू जीना सीख ले
हारा नहीं इन्सां अब तक
तू सहना सीख ले
मुश्किलें तो आयेंगी
तू लड़ना सीख ले
तुम अकेले तो नहीं
नजर उठा के देख ले
हर शख्स यहाँ घायल हैं
तू करीब जा के देख ले
मुश्किलों को पसीने आयेंगे
अगर तू मुस्कुराना सीख ले
और आँसुओ को कफन कर
आँखों में दफन करना सीख ले
THe LIFe !!!
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on Saturday, May 8, 2010
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पहाड़ियों को चीरकर
निकलती हैं लहर
न हैं कोई मंजिल
न उसकी कोई डगर
गिरती भी, संभलती भी
जब राह नहीं मिलती हैं
ऊँचाई से डरती नहीं
हवा से बाते करती हैं
बिखरती भी, सिमटती भी
जब चट्टानें रोकती हैं
हौंसला कम होता नहीं
चट्टानें भी टूटती हैं
होती हैं मुश्किल कभी
रास्ते तो बदलती हैं
रुकना उसने सीखा नहीं
कदम-कदम बढ़ती हैं
कभी मंद कभी तेज
गीत ख़ुशी के गाती हैं
छल-छल तो कभी खन-खन
मधुर संगीत सुनाती हैं
वादा खुशहाली का करती हैं
देखो फसल लहलहाती हैं
वरदान उसको मिला हैं
सबकी प्यास बुझाती हैं
कितनी ही शिकायते हैं
वो जीत के हार जाती हैं
ढूढती सागर को
मिल के गुम जाती हैं
सूरज पुकारता उसको
पास उसके तो जाती हैं
मगर बन के वो बादल
पहाड़ों पर जा बरसती हैं
निकलती हैं लहर
न हैं कोई मंजिल
न उसकी कोई डगर
गिरती भी, संभलती भी
जब राह नहीं मिलती हैं
ऊँचाई से डरती नहीं
हवा से बाते करती हैं
बिखरती भी, सिमटती भी
जब चट्टानें रोकती हैं
हौंसला कम होता नहीं
चट्टानें भी टूटती हैं
होती हैं मुश्किल कभी
रास्ते तो बदलती हैं
रुकना उसने सीखा नहीं
कदम-कदम बढ़ती हैं
कभी मंद कभी तेज
गीत ख़ुशी के गाती हैं
छल-छल तो कभी खन-खन
मधुर संगीत सुनाती हैं
वादा खुशहाली का करती हैं
देखो फसल लहलहाती हैं
वरदान उसको मिला हैं
सबकी प्यास बुझाती हैं
कितनी ही शिकायते हैं
वो जीत के हार जाती हैं
ढूढती सागर को
मिल के गुम जाती हैं
सूरज पुकारता उसको
पास उसके तो जाती हैं
मगर बन के वो बादल
पहाड़ों पर जा बरसती हैं
To, aLL FrIenDs
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V!P!N
on Friday, March 26, 2010
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मौका तो ख़ुशी का हैं
पर न जाने क्या कमी हैं
थाम लेना इस वक्त को
महफ़िल तो अब जमी हैं
कुछ रोज पहले यही पर
परिंदे कही से आये थे
छू लेंगे आसमानों को
सपने आँखों में लाये थे
बिछुड़ जाने के लिए
मिलाया था जिनको
साजिश थी वक्त की
सफ़र करना हैं उनको
साहिल को इंतजार है
लहर से मिल जाने का
पर रेत को हैं शिकायत
छोड़कर उसके चले जाने का
चंदा भी बेचैन हैं
मुश्किल में तारे हैं
सूरज की आहट हैं
फिर भी साथ सारे हैं
न शिकवा न शिकायत
साथ ये कैसा हैं
न रुठोगे न मनायेंगे
रिश्ता ये ऐसा हैं
सबसे अच्छे हंसी पल
कितनी प्यारी बाते हैं
कैसे भूल सकते हैं
दिल में वो यादें हैं
मिलते हैं बिछुड़ते है
कभी बिछुड़ कर मिलते है
अजीब हैं ये ज़िन्दगी
सिलसिले यूँ चलते हैं
पर न जाने क्या कमी हैं
थाम लेना इस वक्त को
महफ़िल तो अब जमी हैं
कुछ रोज पहले यही पर
परिंदे कही से आये थे
छू लेंगे आसमानों को
सपने आँखों में लाये थे
बिछुड़ जाने के लिए
मिलाया था जिनको
साजिश थी वक्त की
सफ़र करना हैं उनको
साहिल को इंतजार है
लहर से मिल जाने का
पर रेत को हैं शिकायत
छोड़कर उसके चले जाने का
चंदा भी बेचैन हैं
मुश्किल में तारे हैं
सूरज की आहट हैं
फिर भी साथ सारे हैं
न शिकवा न शिकायत
साथ ये कैसा हैं
न रुठोगे न मनायेंगे
रिश्ता ये ऐसा हैं
सबसे अच्छे हंसी पल
कितनी प्यारी बाते हैं
कैसे भूल सकते हैं
दिल में वो यादें हैं
मिलते हैं बिछुड़ते है
कभी बिछुड़ कर मिलते है
अजीब हैं ये ज़िन्दगी
सिलसिले यूँ चलते हैं