आज फिर से छलके थे
आंखों में आँसू मेरे
मुश्किलों में मुस्कुरायाँ मैंने
क्यूँ रोक न पाया आज मैं आँसू मेरे
मन्जिले जब भी मिली हैं
जश्न मनाये हर बार मैंने
पर मैं न समझ पाया
क्यूँ खुशियों में शरीक आँसू मेरे
बहुत अजीब सी खुशियाँ हैं
इन खुशियों में कुछ कमी सी हैं
क्यूँ चलता रहा सारी उम्र मैं
जैसे रास्ते मुझे पता ही नहीं हैं
यूँ तो हैं अहसास दूरी का मुझे
पर हैं हर ख़ुशी अधूरी बिन तेरे
क्यूँ आते हो ऐसे करीब मेरे
बन के पलकों में आँसू मेरे
1 comments:
nice ....
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