मौका तो ख़ुशी का हैं
पर न जाने क्या कमी हैं
थाम लेना इस वक्त को
महफ़िल तो अब जमी हैं
कुछ रोज पहले यही पर
परिंदे कही से आये थे
छू लेंगे आसमानों को
सपने आँखों में लाये थे
बिछुड़ जाने के लिए
मिलाया था जिनको
साजिश थी वक्त की
सफ़र करना हैं उनको
साहिल को इंतजार है
लहर से मिल जाने का
पर रेत को हैं शिकायत
छोड़कर उसके चले जाने का
चंदा भी बेचैन हैं
मुश्किल में तारे हैं
सूरज की आहट हैं
फिर भी साथ सारे हैं
न शिकवा न शिकायत
साथ ये कैसा हैं
न रुठोगे न मनायेंगे
रिश्ता ये ऐसा हैं
सबसे अच्छे हंसी पल
कितनी प्यारी बाते हैं
कैसे भूल सकते हैं
दिल में वो यादें हैं
मिलते हैं बिछुड़ते है
कभी बिछुड़ कर मिलते है
अजीब हैं ये ज़िन्दगी
सिलसिले यूँ चलते हैं
2 comments:
kya baat hai vipin sahab,jabardast
wow !! etne ache khyal aate kha se hai aap ko..really vry good..
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