पल

आपके आने पर हमने
गम सारे भुला दिये
जो बुझ गए थे दीयें
वो सारे जला दिये

चाँद ने की थी शिकायत
शमाँ वो इतना रौशन था
मैंने भी की थी बगावत
मेरा चाँद उस से भी रौशन था

वो दूर से आयी थी
उसकी आहट में जादू था
क़रीब इतने वो आयी थी
मेरा भी दिल बेकाबू था

खामोश सी थी निगाहें
कुछ कह रही थी वो नजर
सब थम गया हो जैसे
इस दिल पे था वो असर

मेरे हाथों में था उसका हाथ
वो रात क़यामत थी
उसके होंठों पे थी मेरी बात
वो बात कयामत थी

थम जाना था साँसों को
बेचैनी उस पल में थी
मिल जाती मुझको जन्नत
आरजू उस पल ये थी

कहे भी तो कहे कैसे
बात जुबाँ तक आयी थी
रुके भी तो रुके कैसे
वो बस सुबह तक आयी थी

इक झटके में सब छूट गया
मेरी आँखों का सपना था
कुछ पल के लिए ही सही
पल वो मेरा अपना था

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